Monday, May 6, 2024
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सरकारी सस्ते गल्ले की दुकाने सरकार के हिसाब से नही, कोटेदार की मनमानी से चल रही हैं

बरेली। सरकार द्वारा सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों पर गल्ला चोरी को रोकने के लिए और जनता को पूरा राशन मिल सके उसके लिए समय-समय पर नई-नई तकनीकें निकाली जाती है। लेकिन कोटेदार सरकार द्वारा जारी हर एक तकनीक से दस कदम आगे निकलकर गल्ला चोरी करने का कोई न कोई रास्ता खोज ही लेते है।

आपको बता दें कि सरकार ने सरकारी गल्ला वितरण के लिए एक नई तकनीक निकाली है जिसमें जब भी कोई पात्र गृहस्थी का व्यक्ति राशन लेने दुकान पर जायेगा तो उसको इ वीइंग, मशीन से राशन तौल कर दिया जायेगा। जब तक पूरा राशन नहीं होगा तब तक पात्र गृहस्थी ब्यक्ति का अंगूठा नहीं लगेगा। जब तक उचित राशन नहीं मिलेगा उसका अंगूठा आधार कार्ड के अनुसार मिलान नहीं करेगा या राशन के अनुसार पर्ची नहीं निकलेगी। किन्तु कोटेदार बड़ी चालाकी से जनता से अलग अलग गल्ले की पूरी तौल बनाकर अंगूठा लगवाकर पर्ची निकाल देते हैं और राशन नहीं देते हैं। राशन देने के अलग तौल मशीन से उसी दिन अलग जगह पर या दूसरे दिन बुलाकर उनको अपने पुराने तरीके से घटतौली करते हुए राशन वितरण करने का काम कर रहे हैं।

यह एक नहीं बल्कि लगभग सभी कोटेदार कर रहे हैं। सरकार गल्ला चोरी पर रोक लगाती रहती है। लेकिन चोर और अधिकारी मिलकर सरकार से दस कदम आगे निकल जाते हैं। क्योंकि अंगूठा लगाने वाले व्यक्ति गाँव देहात में ज्यादातर कम पढ़े लिखे ही होते है या अधिकतर महिलायें होती हैं। जिसको कोटेदार आसानी से समझाकर या डरा धमकाकर और अपने व्यस्त होने का बहाना बनाकर बेवकूफ बना देते हैं और इसका फायदा उठा रहे है।

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