Thursday, December 5, 2024
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एक संस्था ऐसी भी जो कर रही परमार्थ का कार्य

बरेली। एक ऐसी संस्था जो बेसहारा, निराश्रित एवं मानसिक विक्षिप्त पुरुषों एवं महिलाओं के लिए बरेली में विगत 2014 से काम कर रही है। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य निराश्रित, बेसहारा, एवम् मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्तियों को सहारा देकर उन्हे समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास करना है। इसे बेसहारा आश्रम कहें या कुछ और फिल्हाल इस आश्रय केंद्र से समाज के उन लोगों को जरूर एक ठिकाना मिल जाता है जो कहीं ना कहीं समाज की मुख्यधारा से एकदम तिरस्कृत हैं।

मनोसमर्पण मनोसामाजिक सेवा समिति नामक इस संस्था में जहां बेसहारा और मानसिक विक्षिप्त लोगों की खाने-पीने, रहने से लेकर इलाज तक की सारी व्यवस्था की जा रही है। वहीं टीम मनोसमर्पण कई वर्षों से समाज सेवा के क्षेत्र में बेहतर काम कर रही है. अब तक सैकड़ों मानसिक रोगियों का रेस्क्यू, उपचार एवं उनके परिजनों से पुनर्मिलन का पुनीत कार्य, टीम मनोसमर्पण द्वारा संभव हुआ है। दरअसल, संस्था मनोसमर्पण अभी तक सैकड़ों लोगों की मदद कर चुकी है। शहर एवम् आसपास के क्षेत्र में घूमने वाले बेसहारा लोगों की, संस्था द्वारा मदद की जाती है, उन्हे इसी आश्रय ग्रह में पनाह भी दी जाती है. संस्था द्वारा जरूरतमंदो को मुफ्त में भोजन से लेकर सभी दैनिक जरुरते भी पूरी की जाती है, जिससे जरूरतमंदो के स्वास्थ्य का ध्यान भी रखा जा सके. संस्था के फाउंडर शैलेश ने बताया की उनका उद्देश्य ही बेसहारा एवं मानसिक मंदितों को रेस्क्यू कर, जरूरी उपचार, भोजन एवं सहारा प्रदान करना है. उनका मानना है कि हर किसी जरूरतमंदो की सहायता करनी चाहिए।

संस्था द्वारा नशे से पीड़ित व्यक्तियों का उपचार एवं काउंसलिंग के द्वारा इस बुराई को हटाने के लिए भी अभियान चलाया जाता रहा है। इस प्रयास में समाज के हर वर्ग से हमें मदद मिल रही है। शिक्षक समाज के हरेंद्र सिंह ‘रानू’ हमारे साथ कंधे से कंधा मिला कर जो भी उनके शिक्षक समाज से बन पड़ता है वह संस्था के लिए हमेशा करते रहते हैं।


शैलेश ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हम समाज के सभी लोग मिलकर उन पीड़ित बेघर बेसहारा और नशे की लत में डूबे हुए व्यक्तियों को समाज की मुख्य धारा में ला सके यदि इस कार्य को करने के लिए हमें किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना करना पड़ेगा तो हम उसके लिए भी तैयार हैं। जिले में यदि किसी भी व्यक्ति को कोई भी ऐसा व्यक्ति मिले जो वास्तविक रूप में बेघर बेसहारा या नशे की लत का व्यक्ति मिले तो संस्था से कोई भी संपर्क कर सकता है। हम इस संस्था मनो समर्पण से जो भी वालंटियर्स जुड़ना चाहते हैं उन्हे भी आमंत्रित करते हैं क्योंकि यह कार्य परमार्थ का कार्य है। इस संस्था से जुड़ने के बाद किसी भी व्यक्ति को लाभ नहीं होगा, केवल और केवल उन्हे मानसिक शांति जरूर मिल सकती है। “मनो समर्पण” संस्था के सहयोगी हरेंद्र सिंह (रानू) ने बताया कि जो लोग सड़कों पर या गलियों में इधर-उधर बेसहारा, बेघर और कहीं न कहीं परिवार से बिछड़कर या मानसिक रूप से विक्षिप्त होकर घूमते रहते हैं वह भी समाज का एक हिस्सा है इस पर हमें गौर करना चाहिए यदि हम उनके लिए कुछ न कर सके तो इतना तो कर ही सकते हैं कि इस संस्था को उनके जीवन को सुधारने के लिए सहयोग तो दे ही सकते हैं। संस्था के सहयोगी और मूल रूप से शिक्षक योगेंद्र गंगवार ने कहा कि कार्य संस्था कर रही है और सरकार भी, हम सरकार की सभी योजनाओं को सर माथे रखते हैं लेकिन अगर सरकारी अधिकारी और कर्मचारी इन लोगों पर भी ध्यान दें तो अच्छा होगा। ये हमारा सौभाग्य है कि हम परमार्थ के इस कार्य पर हैं, स्वार्थ के नही।

संस्था का आश्रय एवं उपचार स्थल रजऊ परसपुर में है, और संस्था के संचालक शैलेश शर्मा हैं। जो कि मूल रूप से क्लिनिकल साइकोलॉजी में पी एच डी हैं, और निस्वार्थ भाव से इस पुनीत कार्य में लगे हुए हैं। हम लोगों को जितना समय मिलता है हम लोग उनके सहयोग के लिए हमेशा तैयार रहते हैं हमारी बरेली की आम जनता से अपील है कि वह भी इस पुनीत कार्य में आगे आकर सहयोग की भावना से संस्था से जुड़ें।

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