2 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक नहीं हो सका नए भवनों का निर्माण
बरेली। बुधवार से लगातार हो रही बारिश के कारण परिषदीय विद्यालयों के जर्जर भवन टपकने लगे हैं कक्षाओं का यह हाल हो चुका है कि उनमें छात्र-छात्राओं को बिठाना खतरे से खाली नहीं है। मजबूरन अध्यापक विद्यालय में आने वाले छात्र-छात्राओं को बरामदे और अन्य कक्षाओं में बिठाकर समावेशी शिक्षा के तहत शिक्षण कार्य करा रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग की यह अजब गजब कहानी ही तो है, कि विभाग द्वारा समय-समय पर बारिश या किसी अन्य प्रकार की आपदा होने पर विद्यालयों का हाल-चाल लिया जाता है।
कि किसी भी विद्यालय में कोई जर्जर भवन तो नहीं है। यह केवल पत्राचार के माध्यम से ही विभाग द्वारा की गई कार्रवाई होती है। लेकिन यह कार्रवाई कितनी कारगर सिद्ध होती है, यह विभाग के अधिकारी भी नहीं बता सकते। मसलन जब विभाग को मालूम है कि जनपद में कितने विद्यालय के कक्षा कक्ष जर्जर हैं, तो उन जर्जर भवनों के निर्माण कराने के लिए आखिर धनराशि किसी अन्य विभाग से तो नहीं आएगी, वह तो बेसिक शिक्षा परिषद ही जारी करेगा।
लेकिन जर्जर भवनों को नीलाम करके उसकी धनराशि बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकारी अपने विभागीय खाते में जमा करा लेते हैं, लेकिन उन विद्यालयों में नये कक्षा कक्ष कब बनेंगे इस सवाल पर वह अधिकारी यह कहकर बात टाल देते हैं, कि अभी धनराशि प्राप्त नहीं हुई है जब धनराशि आएगी तब आपके विद्यालय के कक्षा कक्ष बनाने के लिए धनराशि जारी कर दी जाएगी। सवाल यह खड़ा होता है।
कि जिन विद्यालयों में छात्र संख्या के हिसाब से भवन नहीं है तब आम जनमानस अपने बच्चों को उस विद्यालय में क्यों भेजेगा या फिर जर्जर भवन में बैठने के लिए अपने बच्चों को क्यों भेजेगा। निशुल्क शिक्षा का मतलब यह नहीं है की खतरे में बच्चों की जिंदगी डालते हुए उन्हें शिक्षा दी जाए, विभाग को इस तरफ एक बार जरूर सोचना चाहिए।
भारी बारिश के कारण विद्यालयों की पुरानी बिल्डिंगों में अधिकतर पानी रिस रहा है जिस कारण बिजली के उपकरण पंखें ट्यूबलाइट खराब हो रहे हैं वही पूरी छत टपक रही है च्चों का बैठना दुबर हो गया है इस कारण बच्चों को या तो बरामदे में बैठने की व्यवस्था की गई है या फिर लाइब्रेरी या साइंस रूम में. विद्यालय में दो जर्जर कक्षा डेढ़ साल पहले ध्वस्त कर दिए गए थे।
लेकिन अभी तक नहीं बने हैं अब अगर इन भवनों को भी ध्वस्त कर दिया गया तो विद्यालय में बच्चों के बैठने के लिए बहुत समस्या होगी। विभाग को जल्द से जल्द नये भवन बनाने के लिए धनराशि जारी करनी चाहिए, क्योंकि इसमें होने वाली देरी गरीब बच्चों की अनदेखी ही कही जायेगी।