बरेली। मुसलमानों में बढ़ते नाच-गाने के चलन और मजहबी जुलूसों में स्टंटबाजी के खिलाफ चश्म-ए-दारुल इफ्ता बरेली ने फतवा जारी किया है। यह फतवा दारुल इफ्ता के हेड मुफ्ती मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बृहस्पतिवार को जारी किया। इसमें कहा गया है कि आजकल कुछ मुस्लिम नौजवान धार्मिक जुलूसों जैसे जुलूस-ए-मोहम्मदी और उर्स के दिनों में डीजे का खूब इस्तेमाल करते हैं। डीजे के गाने पर नौजवान नात शरीफ की आवाज पर हाथों में रुमाल लहराते हुए डांस करते हैं।
ये तमाम काम शरीयत की नजर में नाजायज और हराम हैं। यह फतवा बहराइच के गांव सैदापुर निवासी निहाल रजा अंसारी के दारुल इफ्ता से पूछे गए सवाल पर दिया गया है। फतवे में कहा गया है कि शरीयत ने गाने-बाजे और डांस जैसे कार्यों को शैतानी अमल बताया है। मौलाना ने कहा कि मजहबी जुलूसों में डीजे पर थिरकने, रुमाल हवा में लहराने, हुल्लड़बाजी का चलन बढ़ता जा रहा है, जो हराम और नाजायज है।
उन्होंने कहा कि पैगंबर-ए-इस्लाम के पाकीजा जुलूस ईद मिलादुन्नबी में बहुत गलत कार्य का करना और खुदा के मुकद्दस वालियों सुफियों के उर्स में चादर के जुलूसों में इन शैतानी कामों का करना बुराई को बढ़ा देता है। ऐसे लोगों को जुलूस में शामिल न होने दें’
फतवे में यह भी कहा गया है कि इस तरह के गैर शरई काम करने वाले अपने गुनाहों से तौबा करें। नाजायज और हराम काम से दूरी बनाए रखें। अगर ऐसे लोग बाज न आए तो मुसलमान ऐसे लोगों को हरगिज अपने धार्मिक जुलूसो में शिरकत न करने दें। अगर कोई शख्स जबरदस्ती डीजे लेकर आता है तो उसको जुलूस से बाहर कर दें।