बरेली,12 सितंबर 2024: कोलैबोरेटिव डिजीज मैनेजमेंट के महत्व पर प्रकाश ङाला
बरेली। बोन मैरो ट्रांसप्लांट प्रक्रिया और सीएआर-टी सेल थेरेपी में हुए एडवांसमेंट के बारे में मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल साकेत में कैंसर केयर/ऑन्कोलॉजी, बोन मैरो ट्रांसप्लांट के सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर रयाज़ अहमद ने बताया, जो लोग परंपरागत तरीके से इलाज कराते-कराते थक जाते हैं उन मरीजों के लिए सीएआर-टी सेल थेरेपी एक बड़ा रोल निभाता है. इसे ‘लिविंग ड्रग’ भी कहा जाता है. ये थेरेपी उन मरीजों के लिए बहुत ही लाभकारी होती है।
जिनका एलोजेनिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट या पोस्ट ट्रांसप्लांट रिलैप्स नहीं हो पाता. परंपरागत थेरेपी की तुलना में इसमें एक संक्षिप्त, सिंगल इंफ्यूजन ट्रीटमेंट दिया जाता है जिससे करीब दो हफ्तों के अंदर ही मरीज की हालत में सुधार आ जाता है. ये शानदार थेरेपी जानलेवा बीमारी के खिलाफ लड़ाई में काफी मददगार रहती है और ऐसे मामलों में उम्मीद देती है जहां इलाज के परंपरागत तरीके हल्के पड़ जाते हैं।
करीब 60-70% कैंसर मरीजों को अपनी कैंसर यात्रा के दौरान किसी न किसी मौके पर रेडिएशन की आवश्यकता होती है. कैंसर पर अच्छे से कंट्रोल करना इस बात पर निर्भर करता है कि एडवांस टेक्नोलॉजी के साथ रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट कितनी स्किल्ड और कितनी सावधानी से वो इसका इस्तेमाल करता है. कई तरह की नॉन-कैंसरस स्थितियों का इलाज करने में रेडिएशन महत्वपूर्ण रोल निभाता है।
नई मशीनों और तकनीकों जैसे टोमोथेरेपी (रेडिजैक्ट-एक्स9) आईजीआरटी, वीएमएटी, रेपिडआर्क, रेडियो सर्जरी, स्टीरियोटेक्टिक रेडिएशन, प्रोटोन बीम थेरेपी जैसे विकल्पों के आने से सटीक इलाज हो पा रहा है और साइड इफेक्ट्स भी कम होते हैं. इनकी मदद से मरीज के इलाज और उनके जीवन में सुधार की संभावनाएं बढ़ गई हैं. मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल साकेत में इनमें से लगभग सभी तरह की एडवांस रेडिएशन मशीनें और तकनीक उपलब्ध है जिनकी मदद से सभी तरह की संभावित कैंसर और नॉन-कैंसरस मरीजों का इलाज किया जा रहा है.