Thursday, December 5, 2024
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अव्यवस्थाओं के बीच परिषदीय विद्यालयों में सत्र परीक्षा प्रारंभ

बच्चों को नहीं मिली विद्यालय द्वारा कॉपी (उत्तर पुस्तिका) बच्चों ने अपनी कॉपी में से पेज निकाल कर दी परीक्षा

बरेली। तमाम अव्यवस्थाओं के बीच आज से बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में सत्र परीक्षा प्रारंभ हो गई। हम अव्यवस्थाओं की बात इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि अधिकांश आदेशों में सरकार द्वारा यह दिखाने का प्रयास किया जाता है, कि वह छात्र हित क्या-क्या कार्य कर रही है, लेकिन जब परिषदीय विद्यालय में परीक्षाओं का समय आता है, तब गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों से परीक्षा के लिए कॉपियां (उत्तर पुस्तिकाएं) मंगवाई जाती है।

बच्चों के पास इन कॉर्पियो के न होने की स्थिति में बच्चों से उनकी सामान्य कॉपी से पेज निकलवा कर उस पर बच्चे का नाम लिखवाकर परीक्षा ली जाती हैं और विद्यालय के अध्यापक के पास जमा कराई जाती हैं। जिसके बाद अध्यापक उसका मूल्यांकन करते हैं, और बच्चे की वास्तविक शैक्षणिक स्थिति से रूबरू हो पाते हैं। कहने के लिए तो बेसिक शिक्षा विभाग के पास एक भारी भरकम बजट है, लेकिन उस बजट के आंशिक बजट का प्रयोग परीक्षाओं में क्यों नहीं होता ? यह एक बड़ा सवाल है। मजबूरन बच्चों को अपनी कॉपियों को फाड़ना पड़ता है और उनसे पेज निकाल कर परीक्षा देनी होती है।

इस बार भी कुछ ऐसा ही नजर आया हमने तमाम विद्यालयों में जाकर देखा तो पाया कि कहीं भी विद्यालय द्वारा बच्चों को कॉपियां नहीं दी गई, बच्चों ने अपनी कॉपी से पेज फाड़े और परीक्षा दी। आपको बता दें कि आज कक्षा 6 से लेकर 8 तक प्रथम पाली में कला की परीक्षा होनी थी, वहीं द्वितीय पाली में खेल कूद और शारीरिक शिक्षा की परीक्षा ली जा रही है। इसलिए प्रथम पाली में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों ने सादा पेपर पर कला की परीक्षा दी। वहीं द्वितीय पाली में खेलकूद और शारीरिक शिक्षा की परीक्षा में बच्चों ने अपनी कॉपी के पेज निकालकर उस पर अध्यापक द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दिया।

बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में आखिरी यह कॉर्पियो के लिए धनराशि आती भी है या नहीं ! इस सवाल पर अधिकांश प्रधानाध्यापकों ने बताया कि परीक्षा में उत्तर पुस्तिकाएं बाजार से खरीदने के लिए किसी भी प्रकार की धनराशि विभाग द्वारा उपलब्ध नहीं कराई जाती है, यह सत्र परीक्षा मात्र 10 नंबर की है जिसे एक टेस्ट के रूप में लिया जा रहा है। वही जनपद में कुछ अध्यापक ऐसे भी नजर आए जिन्होंने स्वयं के खर्चे से बच्चों को उत्तर पुस्तिकाएं मुहैया कराई बच्चों ने बखूबी उत्तर पुस्तिकाओं पर पूछे गए सवालों का जवाब दिया ऐसे अध्यापकों के कार्य को समाज भी सराहता हुआ दिखा।

विभाग द्वारा सत्र परीक्षा के लिए कोई भी धनराशि उपलब्ध नहीं कराई गई है लेकिन बच्चों की जरूरत को समझते हुए हमारे विद्यालय में बच्चों के लिए उत्तर पुस्तिकाएं और प्रश्न पत्र मुहैया कराए गए हैं, जिससे बच्चों में खुशी का माहौल है और बच्चे आसानी से प्रश्न पत्र को पढ़कर उसका उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिख रहे हैं।

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