बरेली। एक कलयुगी भाई ने अपनी भाभी से अपने ही बड़े भाई की अस्थियों को लेकर कह दी बड़ी बात, कलयुगी देवर ने अपनी भाभी से कहा कि ढाई हजार रुपये दे दो, और भाई की अस्थियां ले लो। भाभी पर इसी कर्ज के चलते देवर ने अपनी भाभी अनीता के मकान में अपना ताला डाल दिया है और उन्हें वहां झांकने तक नहीं दे रहा है। अनीता ने कुछ दिनों से घरों में काम करना शुरू कर दिया है ताकि देवर के पास बंधक अपने पति की अस्थियां लेकर उनका विसर्जन कर सकें। लालच से संवेदन हीनता की चरम सीमा तक पहुंचे खून के रिश्तों की यह कहानी शहर से सटे गांव भरतौल की है।
जहां अनीता के देवर की नजर उनकी एकमात्र संपत्ति करीब सौ वर्ग गज में बने मकान पर है और इसके लिए उसने उनके इर्द-गिर्द साजिश का एक ऐसा जाल बुना है कि वह बेघर होकर इधर-उधर भटक रही हैं। अनीता के मुताबिक उनके पति विजेंद्र पटेल एक अस्पताल में वार्ड बॉय थे। लंबे समय तक उनके बीमार रहने की वजह से उनकी जमापूंजी खत्म हुई तो उन्हें दोनों छोटे बेटों को साथ लेकर एक जूता फैक्ट्री में काम करने जयपुर जाना पड़ा। वहां सप्ताह भी नहीं बीता कि 16 जुलाई को उनके पति की मृत्यु हो गई।
भरतौल में उनके घर से कुछ ही दूर उनके देवर बाबू का घर है जिसने पहले 17 जुलाई को उनके पति विजेंद्र का अंतिम संस्कार किया, फिर उन्हें सूचना दी। वह जयपुर से खाली हाथ लौटीं थी, वहां सप्ताह भर काम का जो पैसा मिला था, वह किराए में खर्च हो गया था। दसवां संस्कार होने के बाद उन्होंने देवर से पति की अस्थियां मांगी तो देवर ने अंतिम संस्कार में खर्च हुआ पैसा चुकाने तक अस्थियां देने से साफ इन्कार कर दिया। कई दिन अनीता ने उससे मिन्नते की, गांव के लोगों ने भी बाबू को बहुत समझाया लेकिन वह नहीं पिघला।
दो महीने से आसपास के घरों में कर रही हैं अनीता काम ताकि देवर का कर्ज चुकाकर पति की अस्थियां ले सके
खुद अनीता का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता, इसके बावजूद वह दो महीने से आसपास के घरों में काम कर रही हैं ताकि देवर का कर्ज चुकाकर पति की अस्थियां लेकर उनका विसर्जन कर सके। दिक्कत यह है कि वह जितना कमा रही है, लगभग उतना ही अपने और दोनों बेटों के भरण-पोषण में खर्च हो जाता है। अनीता कहती हैं कि पति के दसवां संस्कार के दिन देवर ने उनके साथ इतनी बदसलूकी की कि उन्हें भरतौल का घर छोड़ना पड़ा। अब सीबीगंज में किराए के कमरे में रह रही हैं। उसका भी किराया देना होता है। उनके भरतौल वाले मकान में अब देवर ने अपना ताला डाल लिया है।
मृतक का भाई बोला अंतिम संस्कार नहीं, दसवां संस्कार में भी मैंने ही किया था सारा पैसा खर्च
भरतौल पहुंचे संवाददाता ने अनीता के देवर बाबू से जब बात की तो वह बिफरते हुए बोला, मैंने सिर्फ अंतिम संस्कार में ही नहीं, दसवां संस्कार भी किया था खर्च। जब उससे पूछा गया कि अनीता के मकान पर ताला किसने डाला है तो यह कहकर अपने घर का दरवाजा बंद कर लिया कि तुमसे इसका क्या मतलब है। वहीं गांव के लोगों ने बताया कि बाबू के स्वभाव की वजह से कोई उससे ज्यादा बात नहीं करता है। अनीता का बड़ा बेटा भी ऐसा ही है, वह पत्नी के साथ दिल्ली में रहकर नौकरी करता है लेकिन काफी समय से घर नहीं आया है।