बरेली। गर्मी में कुत्ते खूंखार होते जा रहे हैं, गाँव देहात से लेकर कस्बों और शहर की गलियों में देसी नस्ल के कुत्ते स्कूली बच्चों के साथ आम लोगों और राहगीरों पर हमला कर रहे हैं। जिससे जिले के सरकारी अस्पतालों में हर रोज 100 से अधिक लोग एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने के लिए पहुंच रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ नगर निगम के मुताबिक पिछले पांच सालों में नगर निगम की तरफ से 81 सौ कुत्तों का बधियाकरण हुआ है। अब यह अभियान पूरी तरह से ठप्प पड़ा हुआ है, विभागीय अधिकारी इन आवारा कुत्तों को पकड़ने पर जोर नहीं दे रहे हैं जिस वजह से यह आवारा और खूंखार कुत्ते लोगों को आये दिन अपना शिकार बना रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक इन आवारा कुत्तों के बधियाकरण कराने में नगर निगम ने 84 लाख 24 हजार रुपये खर्च कर डाले हैं, लेकिन इसके बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है और इन कुत्तों का आतंक बरकरार है। इसको लेकर अफसर गंभीर नजर नहीं आते।
इन आवारा कुत्तों का आतंक खत्म करने के लिए नगर निगम ने रुपये तो जमकर खर्च किए हैं। पर हकीकत तो यह है कि शहर हो या देहात देसी कुत्ते आए दिन लोगों पर हमला कर रहे हैं। इन कुत्तों से होने वाले हमले के पीड़ित सबसे अधिक संख्या बच्चों की है। इस समस्या से शहर के सभी वार्डों के लोग जूझ रहे हैं, लेकिन इसका निदान नहीं हो पा रहा है। जिला अस्पताल और तीन सौ बेड में इन दिनों एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने वाले मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। मार्च और अप्रैल में 12 हजार लोग एंटी रैबीज वैक्सीन लगवा चुके हैं। इसमें बंदर से अधिक कुत्तों के हमले में घायल होने वाले लोग शामिल हैं। हर रोज इनकी संख्या 100 से ऊपर है।
जानकारी के अनुसार नगर निगम ने मार्च 2019 से 2023 तक 54 सौ कुत्तों को पकड़कर उनका बधियाकरण और वैक्सीनेशन कराया था। मार्च से अब तक 27 सौ कुत्तों का बधियाकरण कराया जा चुका है। नगर निगम अफसरों के अनुसार एक कुत्ते को पकड़कर वैक्सीनेशन और बधियाकरण कराने पर 1040 रुपये खर्च होते हैं। बरेली शहर के जिन इलाकों में इन आवारा कुत्तों का सबसे ज्यादा आतंक देखा जा रहा है उनमें शहर के सीबीगंज, मढ़ीनाथ, संजयनगर, सुभाषनगर, पीलीभीत बाईपास रोड, पुराना शहर, बदायूं रोड, कटरा चांद खां, शहामतगंज, बाकरगंज, सुरेश शर्मा व चकमहमूद शामिल है जहां इन आवारा कुत्तो पर लगाम लगाने में नगर निगम फिल्हाल फेल होता ही नजर आ रहा है।