बरेली। परिषदीय स्कूलों के बच्चों के समग्र विकास के लिए प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में हिंदुजा ग्रुप ने ‘रोड टू स्कूल’ प्रोजेक्ट के तहत अब उत्तर प्रदेश को चुना है। तमिलनाडु समेत दक्षिण भारत के कुछ राज्यों और कश्मीर में इस रोड टू स्कूल’ प्रोजेक्ट के सफल परिणाम आने के बाद अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस रोड टू स्कूल’ प्रोजेक्ट की शुरुआत अपने शहर गोरखपुर से करने जा रहे हैं, जिसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि इस प्रोजेक्ट को पूरे प्रदेश में भी लागू किया जा सकता है।
विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बड़े औद्योगिक घराने हिंदुजा ग्रुप की इकाई अशोक लेलैंड लिमिटेड ने अपने कार्यान्वयन भागीदारी लर्निंग लिंक फाउंडेशन के साथ मिलकर ‘रोड टू स्कूल’ प्रोजेक्ट के प्रथम चरण में प्रदेश के कुछ प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कम्पोजिट विद्यालयों को सम्मिलित किया है। इसको लेकर प्रोजेक्ट के तहत काम भी शुरू हो चुके हैं। ‘रोड टू स्कूल’ प्रोजेक्ट का फायदा पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक के छात्र छात्राओं को मिलने वाला है।
अशोक लेलैंड लिमिटेड और लर्निंग लिंक फाउंडेशन के इस साझा पहल को उत्तर प्रदेश में पहली बार लागू किया जा रहा है। जानकारों के अनुसार जिन राज्यों में ये ‘रोड टू स्कूल’ प्रोजेक्ट कार्य कर रहा है उनमें प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में लगातार सुदृढ़ता आ रही है। प्रदेश में इस प्रोजेक्ट के लागू हो जाने के बाद इससे गुणात्मक और संख्यात्मक दोनों लिहाज से शिक्षा के क्षेत्र में और भी मजबूती आएगी। यह प्रोजेक्ट 100 प्रतिशत छात्रों के नामांकन बनाए रखने और छात्रों को आगे की कक्षा में बढ़ाने के लिए कार्य करेगा।
ड्राप आउट की समस्या दूर होगी
‘रोड टू स्कूल’ सरकारी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कम्पोजिट विद्यालयों के छात्रों के बीच सीखने के अंतराल के मुद्दों पर कार्य करता है। इसमें छात्रों के समग्र विकास के लिए एक आधारभूत ढांचा तैयार करने पर खास जोर दिया गया है। ‘रोड टू स्कूल’ में एक ऐसे मापन योग्य मॉडल पर काम किया जाता है, जिससे बच्चों के शैक्षिक और सह शैक्षिक विकास, उपस्थिति में सुधार किया जा सके और ड्राप आउट बच्चों की समस्या दूर हो सके। रोड टू स्कूल’ प्रोजेक्ट के तहत प्रत्येक दो विद्यालय के लिए एक रिसोर्स पर्सन की तैनाती की व्यवस्था की गई है। रिसोर्स पर्सन को दिए गए दायित्व की निगरानी और मार्गदर्शन के लिए प्रत्येक ब्लॉक के लिए पांच वरिष्ठ रिसोर्स पर्सन की तैनाती रहेगी। इसके अलावा विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य देखभाल और कल्याण कार्यक्रम गतिविधियों को लागू करने के लिए प्रत्येक ब्लॉक में पांच प्रोजेक्ट एसोसिएट भी रहेंगे।